सफलता के चार प्रमुख आयाम

मेरी समझ से सफलता के चार प्रमुख आयाम (dimensions) होते हैं।

 १. समझदारी (prudence)

 २. ईमानदारी (honesty)

३. जिम्मेदारी (responsibility)

४. साहस (courage)

समझदारी

                              यह सफलता का प्रवेश द्वार है तो बेवकूफी असफलता की। समझदारी का अर्थ है कि तात्कालिक लाभ (sudden pleasure) या आकर्षण (charm) पर संयम बरतना हमेशा दूर की सोचना। अपने प्रत्येक कार्य के परिणाम (result) पर गहनमनन चिंतन (deep contemplation or deep thought process) कर एक सही निष्कर्ष पर पहुँचना। मन के भ्रम (dilemma) को तार्किकता (rationality) के साथ दूर करना। अपनी प्राथमिकताओं (priorities) को निर्धारित करना। जल्दबाजी (haste) और अदूरदर्शिता  (improvidence) से अपने को बचा कर रखना।

                               हमारी नासमझी अक्सर हमारी परेशानियों का कारण बन जाती है। जैसे मछली थोड़े से आटे के लिए अपना जान गँवा देती हैठीक वैसे ही नासमझ व्यक्ति थोड़े से लाभ के लिए अपना अमूल्य समय व जीवन नष्ट कर देते हैं।

ईमानदारी

                          हमें किसी भी परिस्थितियों में ईमानदार बने रहने की कोशिश करनी चाहिए। हमें अपने प्रति, समाज के प्रति और परिवार के प्रति पूरी ईमानदारी बरतनी चाहिए। सत्यनिष्ठा (integrity) के साथ पूरी ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना चाहिए। छल कपट झूठ फरेब किसी भी प्रकार हमारे भीतर प्रवेश न करने पाएँ।

ईमानदारी बरतना सरल है, जबकि बेईमानी के लिए अनेक प्रपंच करने पड़ते है। अनेक झूठ व फरेब करने पड़ते है। इससे न केवल हमारी आंतरिक ऊर्जा का क्षरण होता है अपितु हमारे आस पास का परिवेश भी दूषित हो जाता है। इतना ही नहीं हमारे ज़्यादातर रिश्तों में इस बेईमानी के कारण  कटुता आ जाती है। बेईमानी का प्रभाव बस रिश्तों पर ही नहीं हमारे  विकास पर भी पड़ता है। बेईमानी विकास का मार्ग भी अवरूद्ध कर देती है, जबकि ईमानदारी बड़े से बड़े अवरोध को भी हटाने में सक्षम होती है। 

जिम्मेदारी

                            इसका मतलब है कि किसी भी कार्य को करने के लिए लिया जाने वाला भार। सामाजिक प्राणी होने के नाते मनुष्य को अनेक जिम्मेदारियाँ सौंपी गयी हैं। हर व्यक्ति को अपने मन, शरीर, परिवार, समाज, प्रकृति आदि के प्रति अनेक जिम्मेदारियाँ दी गयी हैं। इन जिम्मेदारियों को निभाने से हमारा शौर्य (gallantry) निखरता है। अंतर्मन (inner heart) प्रसन्न रहता है। इससे हमारे भीतर एक ऊर्जा (energy) का संचार (flow) होता है। जिससे हमारा आत्म विश्वास (self-confidence) बढ़ता है, और इस आत्म विश्वास के सहारे हम किसी भी मंजिल (destination) को प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वे अपने मन, मस्तिष्क, शरीर तीनों को स्वस्थ (healthy) व संतुलित (balance) रखें। जिस प्रकार चोर को घर में न आने देने के लिए अनेक प्रकार के तालों का प्रयोग किया जाता है। उसी प्रकार नकारात्मक विचारों  को अपने मस्तिष्क में न आने देने के लिए ध्यान (meditation) रुपी तालों का प्रयोग करना चाहिए।

                            ध्यान से हम न केवल नकारात्मक विचारों (negative thoughts) से बचेंगे अपितु अपने अंदर एक असीम ऊर्जा (infinite energy) के स्रोत (source) को प्रज्वलित (ignited) करेंगे। जिससे हम अपनी जिम्मेदारियों को भलीभाँति निभा सकेंगे।

साहस

समझदारी, ईमानदारी व जिम्मेदारी के साथ-साथ मनुष्य को सफल होने के लिए साहस (courage) व धैर्य (fortitude) की भी आवश्यकता होती है। यदि कोई व्यक्ति साहस से भरपूर है तो कठिनाईयों (difficulties) से विचलित(deviate) नहीं होता अपितु अपने साहस व धैर्य के सहारे कठिनाईयों पर विजय प्राप्त करता है। असफलता उसे भयभीत (scared) नहीं करती बल्कि उसके आगे के मार्ग (path) को प्रशस्त (way forward) करती है  साहस का मतलब है किसी भी परिस्थिति (situations) में डटे रहना और धैर्य का मतलब है कि अंतिम सफ़लता तक चाहे कितना भी समय लगे मन को टूटने न देना।

              एक बात याद रखने योग्य है कि बुराईयाँ (evil) हमारे भीतर प्रवेश (enter) तो आसानी से कर जाती हैं पर आसानी से निकलती नहीं हैं। इन बुराईयों पर विजय पाने के लिए साहस, धैर्य, लगन (perseverance) की जरुरत पड़ती है। ये तीनों एक ऐसे मित्र की तरह है जिसके साथ चल कर असाध्य(impossible) दिखने वाले लक्ष्य (target) को भी प्राप्त(achieve) किया जा सकता है।

*Perseverance-दूरगामी (long lead) तथा कठिन उद्देश्य (hard aim) की प्राप्ति तक आन्तरिक प्रेरणा (self- motivation) बनाये रखना।