सफलता बनाम असफलता

सफलता या फिर असफलता यह महज एक स्थिति है। यह किसी के योग्यता का निर्धारण नहीं कर सकती है। यदि कोई व्यक्ति किसी विशेष क्षेत्र में असफल हो गया है तो इसका अर्थ कदापि यह नहीं माना जाना चाहिए कि वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में असफल ही होगा। या फिर किसी विशेष क्षेत्र में सफल व्यक्ति के लिए यह पूर्व निर्धारित नहीं कर लेना चाहिए कि वह जीवन के हर क्षेत्र में सफल ही होगा। पक्षी यदि आकाश में अपना हुनर दिखाने में माहिर होता है तो मछली जल में ; दोनों ही अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ होते हुए भी एक दूसरे के क्षेत्र में असफल हो जायेंगे। इसका अर्थ यह नहीं हो सकता की दोनों ही असफल हैं।
असफलता के लिए अनेक परिस्थितियाँ जिम्मेदार होती हैं, जैसे कभी प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया तो कभी उचित परिश्रम का अभाव। कभी-कभी मन और परिश्रम सही दिशा में होते हुए भी स्वास्थ्य और पारिवारिक परिस्थितियाँ साथ नहीं दे पाती हैं।
सब कुछ साथ हो , सब कुछ अच्छा चल रहा हो और आप पूरी तरह से आश्वस्त हों कि अब आप अवश्य सफल हो जायेंगे, ऐसे में यदि भ्रष्टाचार अपना हाथ बढ़ा दे तो आपको असफलता का मुँह देखना पड़ता है। इसका अर्थ यह कभी नहीं है कि यह असफलता आपकी है, हालाँकि इसका परिणाम आप ही झेलेंगे। इसलिए ऐसे विषम परिस्थितियों में धैर्य, साहस और पूर्ण तन्मयता के साथ अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहना चाहिए। परिस्थितियाँ सदैव विषम नहीं रहेंगी।

यदि आपमें योग्यता है तो आप अवश्य चमकेंगे; ऐसा कभी नहीं हो सकता कि बादल सदा-सदा के लिए सूर्य को ढक ले, और सूर्य हमेशा प्रकाश विहीन-सा दिखे । इसलिए परिस्थितियों से मिली असफलता पर खिन्नता नहीं होनी चाहिए। यह असफलता स्थायी नहीं होती। परिस्थितियाँ जैसे ही सुधरेंगी सब कुछ सामान्य हो जायेगा। बस जरूरत है आपके धैर्य रखने की ।एक दिन सफलता आपके कदम अवश्य चूमेंगी। इसलिए अस्थायी परिस्थितियों के कारण मिली असफलता से तनाव करना, हताश होना, कुंठित होना, स्थायी असफलता की तरफ ले जा सकती है। इस अस्थायी परिस्थितियों को स्थायी न बनने दें। मन और साहस को बिना तोड़े, समय को बिना नष्ट किये अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहना चाहिए। अगर आप इतना व्यवस्थित जीवन जी सकने का सामर्थ्य अपने पास रखेंगे तो, एक दिन विजयश्री आपका वरण अवश्य करेगी।